किस की इबादत करूँ
सुशील शर्मा विषधरों की बस्ती में प्यार ढूंढने चले हो बड़े दीवाने हो ये किस
सुशील शर्मा विषधरों की बस्ती में प्यार ढूंढने चले हो बड़े दीवाने हो ये किस
सुशील शर्मा खून में सनी औरतें और बच्चियां हैं । क्षतविक्षत और छलनी जिस्म हैं
(पीठ पर कचरे का थैला लादे अनाथ बच्चे पर कविता) सुशील शर्मा मैं अनाथ हूँ,सड़क
सुशील शर्मा जब तक तुम हां न कर दोगी, यूँ ही रोता जाऊंगा। बिन तेरे
सुशील शर्मा मैं रावण अहंकारी, व्यभिचारी। लोक कंटक, दुराचारी। त्रैलोक्य स्वामी। पतित पथ अनुगामी प्रसन्न
(चुनाव प्रक्रिया पर कविता ) सुशील शर्मा सुनो सभी प्यारे अधिकारी। है चुनाव एक जिम्मेदारी।
(लघु नाटिका ) पात्र -मास्टर जी चुन्नी ,नेता जी ,बुद्धिजीवी ,व्यापारी ,किसान ,गरीब लल्लू (चुनाव
(गाँधी जयंती पर विशेष ) सुशील शर्मा प्रकृति मानव व्यवहार को दर्शाती है। सत्य, शुद्धता,
सुशील शर्मा आंतरिक संघर्ष या अंतर्द्वंद ,मानव जीवन का हिस्सा है। अंतर्द्वंद एक अस्पष्ट शब्द
सुशील शर्मा पिछले वर्ष जब तुम आये थे। हमें देख कर मुस्काये थे। दर्द