जिस्म से रूह संबंध की पड़ताल कर
जिस्म से रूह संबंध की पड़ताल कर। वाज़िब है हक़ के लिए हड़ताल कर। माना
जिस्म से रूह संबंध की पड़ताल कर। वाज़िब है हक़ के लिए हड़ताल कर। माना
किसी की चाहत को ही गुनाह मान लिया किसी की नफरत को ही एहसान मान
ज़िन्दगी से राबता हो जाएगा ~~~~~~~~~~~~~~~ गर्दीशी में सब निहाँ हो जाएगा | हौंसलों से
ग्राडँ पा,यू वील बी गलेड टू नो देट माई सेल्फ वल्लभम फ्राम न्यूयार्क। यू पुट
सब्ज़बाग़ दिखलाने वाली दृष्टि सुनहरी है। सिर्फ़ स्वयंहित साधन की साधना गहरी है। संघर्ष न्याय
सुशील शर्मा भारत विभिन्न भाषाओं और बोलियों का एक गुलदस्ता (गुलिस्तान) है। हमारे