है ऐ शम्मा,ज्यों एक-एक रात तुझ पर गुजारी–डॉ. श्रीमती तारा सिंह
है ऐ शम्मा,ज्यों एक-एक रात तुझ पर गुजारी त्यों हमने अपनी उम्र सारी गुजारी है
है ऐ शम्मा,ज्यों एक-एक रात तुझ पर गुजारी त्यों हमने अपनी उम्र सारी गुजारी है
ऐ हुजूमे-गम ,जरा संभलने दे, इस बीमार को यूँ नहीं कत्ल करते कोई, अपने वफ़ादार
गैर की जिक्रे-वफ़ा1 पर जलता दिल, वो क्या जाने वो तो हमारी हर बात पर
संजीव ‘सलिल’ * मेरे भैया!, किशन कन्हैया… * साथ-साथ पल-पुसे, बढ़े हम तुमको पाकर सौ
समीक्षक – डाॅ0 डाॅ0 हरिश्चन्द्र शाक्य ‘डी0 लिट्0 ‘शब्दों के पुल‘ हिन्दी हाइकु काव्य की
१. फूलों से दोस्ती काँटों से प्यार लिख रहा हूँ। दिल का हाल पहली बार
सुशील शर्मा विषधरों की बस्ती में प्यार ढूंढने चले हो बड़े दीवाने हो ये किस
हम जिन्दा हैं जिन्दा लाश होकर नहीं सपनों की मौत हमारी मौत है नहीं ठगी