विनती सुन लो किशन मुरारी
विनती सुन लो किशन मुरारी । हर लो विपदा सभी हमारी । नेह्धारा से नस
विनती सुन लो किशन मुरारी । हर लो विपदा सभी हमारी । नेह्धारा से नस
(1) गीतों के पाँव लगे दुखने ,पर तुम तक नहीं पहुँच पाए; थम गई लेखनी
मसीहा बन के अक्सर जो मीठी बात करते हैं। भावना नेह की रखकर वो मर्माघात