नव वर्ष —Sushil Sharma
नव वर्ष कैलेंडर से लटक कर ,गुजर गया यह साल। कुछ मन की खुशियां मिली…
नव वर्ष कैलेंडर से लटक कर ,गुजर गया यह साल। कुछ मन की खुशियां मिली…
बपौती सुबह नाश्ते के साथ चाय की ट्रे लेकर अनु पति सुमित के पास…
फायदा रविवार को सुबह के आठ ही बजे थे ,देव ने पत्नी को आवाज…
सुकून का एहसास मधुरा के एन.सी.सी.कैम्प में आठ दिन बहुत मजे से सुबह सवेरे उठना…
लघुकथा — विकल्पहीन रक्त मृणाल की गर्भावस्था को नौ महीने पूरे हो गए थे।…
कंजूसी कंजूसी धन की भली ,मन का खर्चा लाभ। कंजूसी मन की करे,उसके फूटे…
दोहा बन गए दीप-6 सुशील शर्मा प्रकृति का संरक्षण जो मानव करता नहीं ,प्रकृति का…
. होकर खफा मुझसे रह सकते हो तो रह लो हमसे नज़रें मिलाकर बेवफा हमें…
पेन तुम्हारा वो पेन जो तुम उस दिन एग्जाम के बाद अपनी मेज़ पर छोड़…
अजनबी कल तलक सख्स मुझसे जो था अज़नबी राह में यूं मिला हमसफर बन गया…