ये तेरा कैसा इकरार है——-रघु आर्यन
पूछूँ एक सवाल सभी से,
ये तेरा कैसा इकरार है।
बांध गले फांसी फंदे से ,
करे जाति से इजहार है।
पैदा हो मिला समाज से,
जो दिया गले में डार है।
कटते भिड़ते अपनों से,
कैसा जाति से खुमार है।
मिला जो जाति वेद से,
है वो कर्मों से करार है।
फिर भी जोड़े जन्म से,
कैसे कहे तू समझदार है।
तुम सीखो मुझ कवियों से,
रखी जाति जो कर्मकार है।
मिला जो जन्म जाति से,
वह सरनेम दिया उतार है।
—-रघु आर्यन