कातिल तुम /मसीहा भी लगते—सुशील शर्मा
हाइकु-105(सेनेरयु) सुशील शर्मा कातिल तुम मसीहा भी लगते ये मेरे दोस्त। एक खंजर तेरे हाथ…
हाइकु-105(सेनेरयु) सुशील शर्मा कातिल तुम मसीहा भी लगते ये मेरे दोस्त। एक खंजर तेरे हाथ…
Law enforcement agencies’ failure to curb cyber crimes against children! By M.Y.Siddiqui …
पूछूँ एक सवाल सभी से, ये तेरा कैसा इकरार है। बांध गले फांसी फंदे से…
पंचभूत का मिश्रण यह जीवन–डॉ० श्रीमती तारा सिंह झंझा प्रवाह से निकला यह जीवन…
वह ओपहीन तो था ,भावरहित नहीं था जिसकी किलक मेरे कानों में ,दिवा– रात्री रहती…
बीत जायेंगे जीवन के बचे – खुचे दिन चार कभी जॊ कहता था,…
हिन्द है वतन हमारा, हम हिन्द के पुजारी हिन्द है वतन हमारा, हम हैं…
*भगवान या शैतान* सुशील शर्मा तुमने पहले मुझे भगवान का दर्जा दिया खूब पूजा बहुत…
कर याद अपने बर्बादे मुहब्बत,हम बहुत रोये मगर हमारे अश्कों को तुम्हारे दामन का…
ऐन वक्त पर बात बिगड़ गई उस बेवफ़ा से आखें लड़ गईं देखा जो…